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Wednesday, November 18, 2015

अपनी प्रतिष्टा को


  • अपनी प्रतिष्टा को भूलकर ,अकिंचन बनकर गुरू के darदर पर सेवा करने से जो प्राप्ति होगी ,उसकी कोई बराबरी नहीं !
  • सुधान्शुजी जी महाराज

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