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Friday, November 30, 2018

उत्तम आचरण,


उत्तम आचरण, उत्तम गुण, ह्रदय के उत्तम भाव, इश्वर की भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, सदाचार और धर्मं का पालन करना- अमृत पान के सामान है और यह अमृत मिलता है सत्संग के माध्यम से।

साहसी होना है

साहसी होना है, शिष्ट होना है, पर अपने आपको कोसना नहीं है।

परम पूज्य सुधांशुजी महाराज